निजी क्लीनिक में नवजात शिशु के अदला-बदली को लेकर जमकर हुई बवाल

अररिया, रंजीत ठाकुर। अररिया फारबिसगंज अस्पताल रोड स्थित अनुमंडल अस्पताल के मामला प्रकाश में आया है जिसे लोग डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन बदलते परिवेश और व्यवसायिकता के बीच चिकित्सक ही इस प्रोफेशन को बदनाम कर रहे हैं। ताजातरीन मामला फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आशुतोष कुमार के निजी क्लीनिक का है। जहां सोमवार की रात जमकर हंगामा हुआ। अस्पताल ने नवजात का लिंग ही बदल डाला। लड़का के बदले परिजनों को लड़की सौंप दिया गया।

परिजन जब बच्चे को लेकर घर पहुंचे तो देखा कि लड़के के बदले उसे लड़की दे दिया गया। उसके बाद परिजन ने नवजात लड़की को लेकर अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा किया। परिजनों के हंगामे के बीच चिकित्सक और उनके कर्मचारी अस्पताल छोड़कर फरार हो गए। जिसके बाद फारबिसगंज पुलिस मौके पर पहुंची और हंगामा कर रहे परिजनों को शांत कराया।

दरअसल, डॉक्टर आशुतोष कुमार के निजी क्लीनिक में नवजात शिशु के लिए नवजात गहन चिकित्सा इकाई (निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) है। 28 जनवरी को सुभाष चौक स्थित डॉक्टर मनोरंजन शर्मा के क्लीनिक में नवजात शिशु के रूप में लड़के का जन्म हुआ था। बच्चे की तबियत खराब होने के कारण डॉक्टर आशुतोष कुमार के क्लीनिक में एनआईसीयू में बीमार नवजात शिशु को रखा गया था। एनआईसीयू में 120 घंटे यानी पांच दिनों तक नवजात को रखने के बाद शिशु को परिजनों को सौंपा गया। लेकिन परिजनों को जो नवजात शिशु सौंपा गया, वो लड़का नहीं बल्कि लड़की थी।

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परिजन भी बिना देखे कपड़े में लपेट कर उसे लेकर अपने घर चले गए। जब परिजन घर पर नवजात शिशु को देखा तो सभी अचंभित रह गए। अस्पताल में नवजात शिशु के रूप में लड़के को एडमिट कराया गया था। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने नवजात का लिंग परिवर्तन कर परिजन को नवजात शिशु के रूप में लड़की सौंप दिया। जिसके बाद नरपतगंज के गोखलापुर वार्ड नंबर सात के रहने वाले विनोद मंडल अपने परिजनों के साथ अस्पताल पहुंचे। जमकर हंगामा हुआ। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर 112 नंबर की पुलिस गाड़ी के साथ सब इंस्पेक्टर राजीव रंजन, सुबोध चौधरी, राजा बाबू पहुंचे। हंगामा कर रहे परिजनों को शांत कराया।

डॉक्टर और क्लीनिक के स्टाफ अस्पताल छोड़कर फरार

मामले को लेकर नवजात के पिता विनोद मंडल ने बताया कि 31 जनवरी को डॉक्टर आशुतोष कुमार के निजी क्लीनिक में तीन दिन के अपने बच्चे को भर्ती कराया था। जिसमें 72 घंटे एनआईसीयू रखने की बात हुई थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को 120 घंटे तक रखा। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे का लिंग परिवर्तन कर बेटे की जगह बेटी दे दिया। विनोद मंडल ने बताया कि पुत्र की चाहत में पहली पत्नी की रजामंदी के बाद उन्होंने दूसरी शादी की थी। काफी पूजा-पाठ के बाद पुत्र हुआ तो जमकर जश्न मनाया गया। अस्पताल के साथ-साथ गांव और मुहल्ले में मिठाई बांटी गई थी। लेकिन अस्पताल में उसके पुत्र की अदला-बदली कर पुत्री सौंप दिया गया।

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